श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति  »  अध्याय 9: श्रीभगवान् के वचन का उद्धरण देते हुए प्रश्नों के उत्तर  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  2.9.29 
 
 
भगवच्छिक्षितमहं करवाणि ह्यतन्द्रित: ।
नेहमान: प्रजासर्गं बध्येयं यदनुग्रहात् ॥ २९ ॥
 
अनुवाद
 
  कृपया मुझे बताएं ताकि मैं भगवान के व्यक्तित्व द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार इस विषय में शिक्षित हो सकूं और इस तरह बिना किसी शर्त के जीवों को उत्पन्न करने में यंत्रवत कार्य कर सकूं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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