श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति  »  अध्याय 9: श्रीभगवान् के वचन का उद्धरण देते हुए प्रश्नों के उत्तर  »  श्लोक 28
 
 
श्लोक  2.9.28 
 
 
क्रीडस्यमोघसङ्कल्प ऊर्णनाभिर्यथोर्णुते ।
तथा तद्विषयां धेहि मनीषां मयि माधव ॥ २८ ॥
 
अनुवाद
 
  हे माधव, मुझे उन सभी शक्तियों के बारे में दार्शनिक ढंग से बताइए। आप उस मकड़ी के समान हैं जो अपनी शक्ति से अपने को ढक लेती है। आपका संकल्प अचूक है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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