सृजामि तपसैवेदं ग्रसामि तपसा पुन: ।
बिभर्मि तपसा विश्वं वीर्यं मे दुश्चरं तप: ॥ २४ ॥
अनुवाद
मैं इस ब्रह्मांड की रचना ऐसे ही तप के द्वारा करता हूँ, मैं इसी शक्ति से इसका संचालन करता हूँ, और इसी शक्ति से इस ब्रह्मांड को वापस अपने में समाहित कर लेता हूँ। इसलिए तप ही वास्तविक शक्ति है।