श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति  »  अध्याय 9: श्रीभगवान् के वचन का उद्धरण देते हुए प्रश्नों के उत्तर  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  2.9.23 
 
 
प्रत्यादिष्टं मया तत्र त्वयि कर्मविमोहिते ।
तपो मे हृदयं साक्षादात्माहं तपसोऽनघ ॥ २३ ॥
 
अनुवाद
 
  हे पापरहित ब्रह्मा, यह जान लो कि जब तुम अपने कर्तव्य में उलझे हुए थे, तो मैंने ही तुम्हें पहली बार तपस्या करने का निर्देश दिया था। यह तपस्या ही मेरा हृदय और मेरी आत्मा है, इसलिए तपस्या और मैं एक ही हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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