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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति
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अध्याय 9: श्रीभगवान् के वचन का उद्धरण देते हुए प्रश्नों के उत्तर
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श्लोक 22
श्लोक
2.9.22
मनीषितानुभावोऽयं मम लोकावलोकनम् ।
यदुपश्रुत्य रहसि चकर्थ परमं तप: ॥ २२ ॥
अनुवाद
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मेरे धाम का साक्षात् दर्शन करना सर्वोच्च सिद्धिमय पटुता है और यह दर्शन तुम्हें मेरे आदेश के अनुसार कठिन तपस्या के प्रति तुम्हारी विनम्र प्रवृत्ति के कारण सम्भव हुआ है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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