श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति  »  अध्याय 9: श्रीभगवान् के वचन का उद्धरण देते हुए प्रश्नों के उत्तर  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  2.9.20 
 
 
श्रीभगवानुवाच
त्वयाहं तोषित: सम्यग् वेदगर्भ सिसृक्षया ।
चिरं भृतेन तपसा दुस्तोष: कूटयोगिनाम् ॥ २० ॥
 
अनुवाद
 
  परम सुंदर भगवान ने ब्रह्मा को संबोधित किया—हे ब्रह्मा जो वेदों से संपन्न हो, सृष्टि की इच्छा से की गई तुम्हारी लंबे समय की तपस्या से मैं बहुत प्रसन्न हुआ हूँ। मैं मुश्किल से ही ढोंगी योगियों से खुश हो पाता हूँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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