और ब्रह्माजी को अपने समक्ष देखकर भगवान् ने उन्हें जीवों की सृष्टि करने और जीवों को अपनी इच्छानुसार नियंत्रित करने के योग्य माना। इस प्रकार उनसे बहुत संतुष्ट होकर भगवान् ने ब्रह्मा से मंद-मंद मुस्कुराते हुए हाथ मिलाया और उन्हें इस प्रकार संबोधित किया।