वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति
»
अध्याय 9: श्रीभगवान् के वचन का उद्धरण देते हुए प्रश्नों के उत्तर
»
श्लोक 13
श्लोक
2.9.13
भ्राजिष्णुभिर्य: परितो विराजते
लसद्विमानावलिभिर्महात्मनाम् ।
विद्योतमान: प्रमदोत्तमाद्युभि:
सविद्युदभ्रावलिभिर्यथा नभ: ॥ १३ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
वैकुण्ठ लोक विभिन्न चमचमाते विमानों से घिरे हैं। ये विमान महात्माओं या भगवद्भक्तों के हैं। स्त्रियाँ अपने स्वर्गीय मुखमण्डल के कारण बिजली के समान सुंदर लगती हैं और ये सब मिलकर ऐसे प्रतीत होते हैं मानो बादलों तथा बिजली से आकाश सुशोभित हो।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.