श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति  »  अध्याय 9: श्रीभगवान् के वचन का उद्धरण देते हुए प्रश्नों के उत्तर  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  2.9.13 
 
 
भ्राजिष्णुभिर्य: परितो विराजते
लसद्विमानावलिभिर्महात्मनाम् ।
विद्योतमान: प्रमदोत्तमाद्युभि:
सविद्युदभ्रावलिभिर्यथा नभ: ॥ १३ ॥
 
अनुवाद
 
  वैकुण्ठ लोक विभिन्न चमचमाते विमानों से घिरे हैं। ये विमान महात्माओं या भगवद्भक्तों के हैं। स्त्रियाँ अपने स्वर्गीय मुखमण्डल के कारण बिजली के समान सुंदर लगती हैं और ये सब मिलकर ऐसे प्रतीत होते हैं मानो बादलों तथा बिजली से आकाश सुशोभित हो।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.