श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति  »  अध्याय 9: श्रीभगवान् के वचन का उद्धरण देते हुए प्रश्नों के उत्तर  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  2.9.12 
 
 
प्रवालवैदूर्यमृणालवर्चस: ।
परिस्फुरत्कुण्डलमौलिमालिन: ॥ १२ ॥
 
अनुवाद
 
  उनमें से कुछ की शक्ल मूंगे और हीरे की तरह तेजस्वी है और उन्होंने अपने सिर पर ऐसी मालाएँ धारण की हुई हैं जो कमल के फूलों की तरह खिली हुई हैं। कुछ ने कानों में झुमके पहने हुए हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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