श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग  »  अध्याय 6: महाराज परीक्षित का निधन  »  श्लोक 52-53
 
 
श्लोक  12.6.52-53 
 
 
पैलाय संहितामाद्यां बह्‌वृचाख्यां उवाच ह ।
वैशम्पायनसंज्ञाय निगदाख्यं यजुर्गणम् ॥ ५२ ॥
साम्नां जैमिनये प्राह तथा छन्दोगसंहिताम् ।
अथर्वाङ्गिरसीं नाम स्वशिष्याय सुमन्तवे ॥ ५३ ॥
 
अनुवाद
 
  श्रील व्यासदेव ने पहली संहिता ऋग्वेद की शिक्षा पैल को दे डाली और इस संग्रह का नाम बह्वृच रखा। ऋषि वैशम्पायन से उन्होंने यजुर्मंत्रों के संग्रह, पूर्ण निगद, का प्रवचन किया। उन्होंने जैमिनि को सामवेद के मंत्रों की शिक्षा दी जिनका नाम छान्दोग्य-संहिता था और अपने प्रिय शिष्य सुमन्तु से उन्होंने अथर्ववेद कहा।
 
 
 
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