श्रील व्यासदेव ने पहली संहिता ऋग्वेद की शिक्षा पैल को दे डाली और इस संग्रह का नाम बह्वृच रखा। ऋषि वैशम्पायन से उन्होंने यजुर्मंत्रों के संग्रह, पूर्ण निगद, का प्रवचन किया। उन्होंने जैमिनि को सामवेद के मंत्रों की शिक्षा दी जिनका नाम छान्दोग्य-संहिता था और अपने प्रिय शिष्य सुमन्तु से उन्होंने अथर्ववेद कहा।