श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग  »  अध्याय 1: कलियुग के पतित वंश  »  श्लोक 29-31
 
 
श्लोक  12.1.29-31 
 
 
एते भोक्ष्यन्ति पृथिवीं दशवर्षशतानि च ।
नवाधिकां च नवतिं मौला एकादश क्षितिम् ॥ २९ ॥
भोक्ष्यन्त्यब्दशतान्यङ्ग त्रीणि तै: संस्थिते तत: ।
किलकिलायां नृपतयो भूतनन्दोऽथ वङ्गिरि: ॥ ३० ॥
शिशुनन्दिश्च तद्भ्राता यशोनन्दि: प्रवीरक: ।
इत्येते वै वर्षशतं भविष्यन्त्यधिकानि षट् ॥ ३१ ॥
 
अनुवाद
 
  ये आभीर, गर्दभी और कांक 1,099 वर्षों तक पृथ्वी पर राज करेंगे और मौलगण 300 वर्षों तक राज्य करेगा। इन सभी के मरने के बाद किलकिला नगरी में भूतनंद, वंगिरि, शिशुनंद, उनके भाई यशोनंद और प्रवीरक नाम के राजाओं का वंश उभरेगा। किलकिला के ये राजा कुल मिलाकर 106 वर्षों तक राज्य करेंगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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