श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 8: पिंगला की कथा  »  श्लोक 42
 
 
श्लोक  11.8.42 
 
 
आत्मैव ह्यात्मनो गोप्ता निर्विद्येत यदाखिलात् ।
अप्रमत्त इदं पश्येद् ग्रस्तं कालाहिना जगत् ॥ ४२ ॥
 
अनुवाद
 
  जब जीव देखता है कि पूरे ब्रह्मांड को समय के नाग ने पकड़ लिया है, तो वह शांत और समझदार हो जाता है और फिर वह अपने आप को सभी भौतिक इंद्रिय सुखों से दूर कर लेता है। ऐसी स्थिति में जीव अपने आप को बचाने के योग्य हो जाता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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