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श्रीमद् भागवतम
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अध्याय 7: भगवान् कृष्ण द्वारा उद्धव को उपदेश
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श्लोक 67
श्लोक
11.7.67
कपोत: स्वात्मजान् बद्धानात्मनोऽप्यधिकान् प्रियान् ।
भार्यां चात्मसमां दीनो विललापातिदु:खित: ॥ ६७ ॥
अनुवाद
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अपने ही जीवन से भी अधिक प्यारे अपने बच्चों को और साथ में अपने ही समान अपनी पत्नी को पाश में फँसा देखकर वह बेचारा कबूतर बहुत दुखी होकर विलाप करने लगा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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