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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास
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अध्याय 7: भगवान् कृष्ण द्वारा उद्धव को उपदेश
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श्लोक 58
श्लोक
11.7.58
प्रजा: पुपुषतु: प्रीतौ दम्पती पुत्रवत्सलौ ।
शृण्वन्तौ कूजितं तासां निवृतौ कलभाषितै: ॥ ५९ ॥
अनुवाद
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जब समय पूर्ण हो गया, तब उन अंडों से भगवान की अचिन्त्य शक्तियों द्वारा निर्मित कोमल अंगों और पंखों वाले बच्चे कबूतरों ने जन्म लिया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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