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श्रीमद् भागवतम
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श्लोक 49
श्लोक
11.30.49
त्वं तु मद्धर्ममास्थाय ज्ञाननिष्ठ उपेक्षक: ।
मन्मायारचितामेतां विज्ञायोपशमं व्रज ॥ ४९ ॥
अनुवाद
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हे दारुक, तुम आध्यत्मिक ज्ञान में स्थिर होकर और भौतिक विचारों से दूर रहकर मेरी भक्ति में दृढ़ रहना। तुम इन लीलाओं को मेरी मायाशक्ति का प्रदर्शन समझकर शांत रहना।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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