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श्लोक 48
श्लोक
11.30.48
स्वं स्वं परिग्रहं सर्वे आदाय पितरौ च न: ।
अर्जुनेनाविता: सर्व इन्द्रप्रस्थं गमिष्यथ ॥ ४८ ॥
अनुवाद
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अर्जुन की सुरक्षा में, तुम सब अपने-अपने परिवार और मेरे माता-पिता को लेकर इंद्रप्रस्थ चले जाओ।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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