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श्लोक 45
श्लोक
11.30.45
तमन्वगच्छन् दिव्यानि विष्णुप्रहरणानि च ।
तेनातिविस्मितात्मानं सूतमाह जनार्दन: ॥ ४५ ॥
अनुवाद
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विष्णु के सभी दिव्य शस्त्र ऊपर उठे और रथ का अनुसरण करने लगे। तत्पश्चात जनार्दन ने अपने उस सारथी से, जो यह सब देखकर विस्मित हो रहा था, कहा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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