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श्लोक 17
श्लोक
11.30.17
अन्ये च ये वै निशठोल्मुकादय:
सहस्रजिच्छतजिद्भानुमुख्या: ।
अन्योन्यमासाद्य मदान्धकारिता
जघ्नुर्मुकुन्देन विमोहिता भृशम् ॥ १७ ॥
अनुवाद
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इसी तरह निशठ, उल्मुक, सहस्रजित, शतजित और भानु जैसे अन्य लोग भी नशे में चूर होकर भगवान मुकुंद द्वारा विचलित हो गये और एक-दूसरे को मार गिराया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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