नमोऽस्तु ते महायोगिन् प्रपन्नमनुशाधि माम् ।
यथा त्वच्चरणाम्भोजे रति: स्यादनपायिनी ॥ ४० ॥
अनुवाद
योगियों में श्रेष्ठ, आपको प्रणाम है। मैं आपके चरणों में शरण लेता हूँ। कृपा करके मुझे उपदेश दें कि मैं आपकी चरण-कमलों में अटूट श्रद्धा कैसे प्राप्त कर सकता हूँ।