श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 29: भक्ति-योग  »  श्लोक 40
 
 
श्लोक  11.29.40 
 
 
नमोऽस्तु ते महायोगिन् प्रपन्नमनुशाधि माम् ।
यथा त्वच्चरणाम्भोजे रति: स्यादनपायिनी ॥ ४० ॥
 
अनुवाद
 
  योगियों में श्रेष्ठ, आपको प्रणाम है। मैं आपके चरणों में शरण लेता हूँ। कृपा करके मुझे उपदेश दें कि मैं आपकी चरण-कमलों में अटूट श्रद्धा कैसे प्राप्त कर सकता हूँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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