श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 29: भक्ति-योग  »  श्लोक 36
 
 
श्लोक  11.29.36 
 
 
विष्टभ्य चित्तं प्रणयावघूर्णं
धैर्येण राजन् बहु मन्यमान: ।
कृताञ्जलि: प्राह यदुप्रवीरं
शीर्ष्णा स्पृशंस्तच्चरणारविन्दम् ॥ ३६ ॥
 
अनुवाद
 
  प्रेम से अभिभूत मन को स्थिर करते हुए उद्धव ने यदुकुल के परम वीर भगवान कृष्ण को धन्यवाद दिया। हे राजा परीक्षित, उद्धव ने भगवान के चरणों का स्पर्श करने के लिए शीश झुकाया और हाथ जोड़ कर बोलने लगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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