श्रीशुक उवाच
स एवमादर्शितयोगमार्ग-
स्तदोत्तम:श्लोकवचो निशम्य ।
बद्धाञ्जलि: प्रीत्युपरुद्धकण्ठो
न किञ्चिदूचेऽश्रुपरिप्लुताक्ष: ॥ ३५ ॥
अनुवाद
श्री शुकदेव गोस्वामी ने कहा: भगवान् कृष्ण द्वारा कहे गए इन शब्दों को सुनकर और इस प्रकार पूरा योग-मार्ग दिखाए जाने पर, उद्धव ने नमस्कार करने के लिए अपने हाथ जोड़े। किन्तु प्रेम के वशीभूत उनका गला भर आया और आँखों में आँसू छलक पड़े, जिससे वे कुछ बोल नहीं पाए।