श्रीमद् भागवतम » स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास » अध्याय 29: भक्ति-योग » श्लोक 26 |
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| | श्लोक 11.29.26  | |  | | य एतन्मम भक्तेषु सम्प्रदद्यात् सुपुष्कलम् ।
तस्याहं ब्रह्मदायस्य ददाम्यात्मानमात्मना ॥ २६ ॥ | | अनुवाद | | जो व्यक्ति उदार भाव से इस ज्ञान को मेरे भक्तों के बीच बांटता है, वह परम सत्य का देने वाला है और मैं उसे अपना सब कुछ दे देता हूँ। | |
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