श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 23: अवन्ती ब्राह्मण का गीत  »  श्लोक 45
 
 
श्लोक  11.23.45 
 
 
दानं स्वधर्मो नियमो यमश्च
श्रुतं च कर्माणि च सद्‍व्रतानि ।
सर्वे मनोनिग्रहलक्षणान्ता:
परो हि योगो मनस: समाधि: ॥ ४५ ॥
 
अनुवाद
 
  दान, धर्म, यम व नियम, शास्त्र श्रवण, पुण्य कर्म और शुद्धि प्रदान करने वाले व्रत- इन सबका अन्तिम उद्देश्य मन के दमन को प्राप्त करना होता है। सचमुच में तो सर्वोच्च योग है- ब्रह्म में मन को एकाग्र करना।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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