श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 23: अवन्ती ब्राह्मण का गीत  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  11.23.29 
 
 
सोऽहं कालावशेषेण शोषयिष्येऽङ्गमात्मन: ।
अप्रमत्तोऽखिलस्वार्थे यदि स्यात् सिद्ध आत्मनि ॥ २९ ॥
 
अनुवाद
 
  यदि मेरे जीवन में कुछ समय बचता है, तो मैं तप करूँगा और अपने शरीर की जरूरतों को कम कर दूँगा। मैं अब और अधिक भ्रम में न पड़ कर जीवन में अपने पूरे आत्म-हित में लग जाऊँगा और अपने आप में ही संतुष्ट रहूँगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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