श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 22: भौतिक सृष्टि के तत्त्वों की गणना  »  श्लोक 48
 
 
श्लोक  11.22.48 
 
 
एता मनोरथमयीर्हान्यस्योच्चावचास्तनू: ।
गुणसङ्गादुपादत्ते क्व‍‍चित् कश्चिज्जहाति च ॥ ४८ ॥
 
अनुवाद
 
  यद्यपि भौतिक शरीर आत्मा से भिन्न है, लेकिन भौतिकता से जुड़े अज्ञान के कारण मनुष्य उच्च और निम्न शारीरिक स्थितियों के साथ झूठा तादात्म्य करता है। कभी-कभी सौभाग्यशाली व्यक्ति इस तरह की मानसिक कल्पनाओं को छोड़ने में सक्षम होता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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