श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 90: भगवान् कृष्ण की महिमाओं का सारांश  »  श्लोक 44
 
 
श्लोक  10.90.44 
 
 
तन्निग्रहाय हरिणा प्रोक्ता देवा यदो: कुले ।
अवतीर्णा: कुलशतं तेषामेकाधिकं नृप ॥ ४४ ॥
 
अनुवाद
 
  इन राक्षसों को वश में करने के लिए भगवान् हरि ने देवताओं से यदुवंश में अवतार लेने के लिए कहा। हे राजा, ऐसे कुल १०१ थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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