श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 90: भगवान् कृष्ण की महिमाओं का सारांश  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  10.90.24 
 
 
हंस स्वागतमास्यतां पिब पयो ब्रूह्यङ्ग शौरे: कथां
दूतं त्वां नु विदाम कच्चिदजित: स्वस्त्यास्त उक्तं पुरा ।
किं वा नश्चलसौहृद: स्मरति तं कस्माद् भजामो वयं
क्षौद्रालापय कामदं श्रियमृते सैवैकनिष्ठा स्‍त्रियाम् ॥ २४ ॥
 
अनुवाद
 
  हे हंस, स्वागत है। कृपा करके यहाँ बैठकर दूध पी लो। हमारे प्रिय शूरवंशी से हमको कुछ समाचार बताओ। हम जानते हैं कि तुम उनके दूत हो। क्या वे अजेय प्रभु कुशल से हैं? क्या हमारा वह अविश्वसनीय मित्र अब भी उन शब्दों का स्मरण करता है, जिन्हें उसने बहुत पहले कहा था? हम उसके पास क्यों जाँय और उसकी पूजा क्यों करें? हे क्षुद्र स्वामी के सेवक, जाकर उससे कहो कि वह बिना लक्ष्मी के यहाँ आकर हमारी इच्छाएँ पूरी करे। क्या वही एकमात्र स्त्री है, जो उसके प्रति विशेष रूप से अनुरक्त हो गई है?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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