श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 89: कृष्ण तथा अर्जुन द्वारा ब्राह्मण-पुत्रों का  »  श्लोक 10-11
 
 
श्लोक  10.89.10-11 
 
 
पुनीहि सहलोकं मां लोकपालांश्च मद्गतान् ।
पादोदकेन भवतस्तीर्थानां तीर्थकारिणा ॥ १० ॥
अद्याहं भगवँल्ल‍क्ष्‍म्‍या आसमेकान्तभाजनम् ।
वत्स्यत्युरसि मे भूतिर्भवत्पादहतांहस: ॥ ११ ॥
 
अनुवाद
 
  “कृपा करके, मेरे ऊपर अपने पावन चरणों का जल छिड़ककर मुझे, मेरे धाम और मेरे भक्तों के राज्यों को पवित्र कीजिये। निर्विवाद रूप से, यही पवित्र जल तीर्थस्थलों को पवित्रता प्रदान करता है। हे मेरे स्वामी, आज मैं लक्ष्मी का एकमात्र आश्रय बन गया हूँ। वह मेरी छाती पर निवास करने को सहमति देंगी, क्योंकि आपके पावन चरणों ने इसे पापों से मुक्त कर दिया है।”
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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