श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 89: कृष्ण तथा अर्जुन द्वारा ब्राह्मण-पुत्रों का  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  10.89.1 
 
 
श्रीशुक उवाच
सरस्वत्यास्तटे राजन्नृषय: सत्रमासत ।
वितर्क: समभूत्तेषां त्रिष्वधीशेषु को महान् ॥ १ ॥
 
अनुवाद
 
  शुकदेव गोस्वामी ने कहा : हे राजन्, एक बार सरस्वती नदी के किनारे ऋषियों का एक समूह वैदिक यज्ञ कर रहा था। तब उनके बीच यह विवाद खड़ा हो गया कि तीन मुख्य देवी-देवताओं में श्रेष्ठ कौन है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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