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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
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अध्याय 88: वृकासुर से शिवजी की रक्षा
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श्लोक 37
श्लोक
10.88.37
मुमुचु: पुष्पवर्षाणि हते पापे वृकासुरे ।
देवर्षिपितृगन्धर्वा मोचित: सङ्कटाच्छिव: ॥ ३७ ॥
अनुवाद
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पापी वृकासुर के मारे जाने पर जश्न मनाने के लिए देव ऋषियों, पितरों और गंधर्वों ने फूल बरसाए। अब भगवान शिव खतरे से बाहर थे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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