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अध्याय 88: वृकासुर से शिवजी की रक्षा
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श्लोक 36
श्लोक
10.88.36
अथापतद् भिन्नशिरा: वज्राहत इव क्षणात् ।
जयशब्दो नम:शब्द: साधुशब्दोऽभवद् दिवि ॥ ३६ ॥
अनुवाद
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उसके सिर पर तत्काल ऐसा वज्रपात हुआ कि मानो उस पर बिजली गिर गई हो, और वह दानव गिरकर मर गया। आकाश से "जय हो", "प्रणाम है" और "साधु साधु" जैसी आवाजें सुनाई दीं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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