श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 88: वृकासुर से शिवजी की रक्षा  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  10.88.16 
 
 
दशास्यबाणयोस्तुष्ट: स्तुवतोर्वन्दिनोरिव ।
ऐश्वर्यमतुलं दत्त्वा तत आप सुसङ्कटम् ॥ १६ ॥
 
अनुवाद
 
  उनके यश का गुणगान शाही दरबार के गायकों की तरह करने वाले दस सिरों वाले रावण और बाण से वे प्रसन्न हुए। तब शिवजी ने उन दोनों को अभूतपूर्व शक्ति प्रदान की, किंतु परिणामस्वरूप उन्हें दोनों के कारण महान संकटों का सामना करना पड़ा।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.