श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 88: वृकासुर से शिवजी की रक्षा  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  10.88.13 
 
 
अत्र चोदाहरन्तीममितिहासं पुरातनम् ।
वृकासुराय गिरिशो वरं दत्त्वाप सङ्कटम् ॥ १३ ॥
 
अनुवाद
 
  इस संदर्भ में, एक प्राचीन ऐतिहासिक विवरण सुनाया जाता है कि किस प्रकार वृक नामक दानव को वर मांगने के लिये कहने से कैलाश पर्वत के स्वामी ख़तरे में पड़ गये।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.