श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 87: साक्षात् वेदों द्वारा स्तुति  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  10.87.6 
 
 
यो वै भारतवर्षेऽस्मिन् क्षेमाय स्वस्तये नृणाम् ।
धर्मज्ञानशमोपेतमाकल्पादास्थितस्तप: ॥ ६ ॥
 
अनुवाद
 
  सृष्टि के प्रारंभ से ही नारायण ऋषि इस भारत भूमि पर मानवता के लोक और परलोक के लाभ के लिए धार्मिक कर्त्तव्यों का निर्वाह और आध्यात्मिक ज्ञान और आत्मसंयम का अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करते हुए तपस्या कर रहे थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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