श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 87: साक्षात् वेदों द्वारा स्तुति  »  श्लोक 48
 
 
श्लोक  10.87.48 
 
 
सभाजितो भगवता कृतासनपरिग्रह: ।
तस्मै तद् वर्णयामास नारायणमुखाच्छ्रुतम् ॥ ४८ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान के अवतार व्यासदेव ने नारद मुनि का सत्कार किया और उन्हें बैठने के लिए आसन दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार किया। तब नारद ने व्यास को वह कथा सुनाई, जो उन्होंने श्री नारायण ऋषि के मुख से सुनी थी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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