श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 87: साक्षात् वेदों द्वारा स्तुति  »  श्लोक 43
 
 
श्लोक  10.87.43 
 
 
इत्यशेषसमाम्नायपुराणोपनिषद्रस: ।
समुद्‍धृत: पूर्वजातैर्व्योमयानैर्महात्मभि: ॥ ४३ ॥
 
अनुवाद
 
  इस तरह से वे प्राचीन संत जो उच्च स्वर्गों में विचरण करते हैं, उन्होंने सभी वेदों और पुराणों के इस अमृतमय और रहस्यमय सार को निचोड़ा है।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.