श्रीपरीक्षिदुवाच
ब्रह्मन् ब्रह्मण्यनिर्देश्ये निर्गुणे गुणवृत्तय: ।
कथं चरन्ति श्रुतय: साक्षात् सदसत: परे ॥ १ ॥
अनुवाद
श्री परीक्षित ने कहा : हे ब्राह्मण, भला वेद उस परम सत्य का सीधे वर्णन कैसे कर सकते हैं, जिसे शब्दों से बताया नहीं जा सकता? वेद भौतिक प्रकृति के गुणों का वर्णन करने तक ही सीमित हैं, किन्तु भगवान इन गुणों से परे हैं क्योंकि वे समस्त भौतिक अभिव्यक्तियों और उनके कारणों से परे हैं।