श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 86: अर्जुन द्वारा सुभद्रा-हरण तथा कृष्ण द्वारा अपने भक्तों को आशीर्वाद दिया जाना  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  10.86.8 
 
 
तां परं समनुध्यायन्नन्तरं प्रेप्सुरर्जुन: ।
न लेभे शं भ्रमच्चित्त: कामेनातिबलीयसा ॥ ८ ॥
 
अनुवाद
 
  उस सुंदरी का ही ध्यान लगाए और उसे उठा ले जाने के अवसर की प्रतीक्षा में अर्जुन को चैन नहीं मिल रहा था। कामेच्छा से उनका हृदय थरथरा रहा था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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