श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 86: अर्जुन द्वारा सुभद्रा-हरण तथा कृष्ण द्वारा अपने भक्तों को आशीर्वाद दिया जाना  »  श्लोक 51
 
 
श्लोक  10.86.51 
 
 
श्रीभगवानुवाच
ब्रह्मंस्तेऽनुग्रहार्थाय सम्प्राप्तान् विद्ध्यमून् मुनीन् ।
सञ्चरन्ति मया लोकान् पुनन्त: पादरेणुभि: ॥ ५१ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान बोले: हे ब्राह्मण, आपको यह अवश्य मालूम होना चाहिए कि ये महान ऋषि आपका आशीर्वाद करने ही यहाँ आए हैं। ये मेरे साथ-साथ सारे जहानों में घूमते हैं और अपने चरणों की धूल से उन्हें पावन करते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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