दृष्ट्वा त उत्तम:श्लोकं प्रीत्युत्फुलाननाशया: ।
कैर्धृताञ्जलिभिर्नेमु: श्रुतपूर्वांस्तथा मुनीन् ॥ २३ ॥
अनुवाद
ज्यों ही लोगों की नज़र उत्तमश्लोक भगवान पर पड़ी, उनके चेहरे और दिल प्यार से खिल उठे। सिर के ऊपर अंजलि बाँधकर, उन्होंने भगवान और उनके साथ आये ऋषियों को प्रणाम किया, जिनके बारे में उन्होंने पहले केवल सुना था।