श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 86: अर्जुन द्वारा सुभद्रा-हरण तथा कृष्ण द्वारा अपने भक्तों को आशीर्वाद दिया जाना  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  10.86.18 
 
 
नारदो वामदेवोऽत्रि: कृष्णो रामोऽसितोऽरुणि: ।
अहं बृहस्पति: कण्वो मैत्रेयश्‍च्यवनादय: ॥ १८ ॥
 
अनुवाद
 
  इन मुनियों में नारद, वामदेव, अत्रि, कृष्णद्वैपायन व्यास, परशुराम, असित, अरुणि, मैं स्वयं, बृहस्पति, कण्व, मैत्रेय तथा च्यवन थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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