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अध्याय 86: अर्जुन द्वारा सुभद्रा-हरण तथा कृष्ण द्वारा अपने भक्तों को आशीर्वाद दिया जाना
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श्लोक 16
श्लोक
10.86.16
तथा तद्राष्ट्रपालोऽङ्ग बहुलाश्व इति श्रुत: ।
मैथिलो निरहम्मान उभावप्यच्युतप्रियौ ॥ १६ ॥
अनुवाद
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इसी प्रकार, हे परीक्षित, मिथिला के वंश से आये उस राज्य के शासक, बहुलाश्व, मिथ्या अहंकाररहित थे। ये दोनों ही भक्त भगवान अच्युत को अत्यंत प्रिय थे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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