श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 85: कृष्ण द्वारा वसुदेव को उपदेश दिया जाना तथा देवकी-पुत्रों की वापसी  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  10.85.9 
 
 
दिशां त्वमवकाशोऽसि दिश: खं स्फोट आश्रय: ।
नादो वर्णस्त्वम् ॐकार आकृतीनां पृथक्कृति: ॥ ९ ॥
 
अनुवाद
 
  आप दिशाएँ और उनकी अनुकूलन क्षमता, व्यापक आकाश और उसके भीतर निवास करने वाली प्रधान ध्वनि (स्फोट) हैं। आप आदि अनभिव्यक्त ध्वनि रूप, प्रथम अक्षर ॐ और श्रव्य वाणी हैं, जिससे ध्वनियाँ शब्दों के रूप में विशिष्ट संदर्भ प्राप्त करती हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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