श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 85: कृष्ण द्वारा वसुदेव को उपदेश दिया जाना तथा देवकी-पुत्रों की वापसी  »  श्लोक 58
 
 
श्लोक  10.85.58 
 
 
एवंविधान्यद्भ‍ुतानि कृष्णस्य परमात्मन: ।
वीर्याण्यनन्तवीर्यस्य सन्त्यनन्तानि भारत ॥ ५८ ॥
 
अनुवाद
 
  हे भारत, अनंत पराक्रमवाले सर्वोच्च आत्मा, भगवान श्रीकृष्ण ने ऐसी ही अनेक अनोखी लीलाएँ की हैं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.