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स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
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अध्याय 85: कृष्ण द्वारा वसुदेव को उपदेश दिया जाना तथा देवकी-पुत्रों की वापसी
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श्लोक 52
श्लोक
10.85.52
इत्युक्त्वा तान् समादाय इन्द्रसेनेन पूजितौ ।
पुनर्द्वारवतीमेत्य मातु: पुत्रानयच्छताम् ॥ ५२ ॥
अनुवाद
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[शुकदेव गोस्वामी ने कहा] : यह कहकर भगवान् कृष्ण और बलराम बलि महाराज द्वारा विधिवत् पूजित होकर छहों पुत्रों को लेकर द्वारका लौट आए, और उन्हें अपनी माता के सामने प्रस्तुत किया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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