वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ
»
अध्याय 85: कृष्ण द्वारा वसुदेव को उपदेश दिया जाना तथा देवकी-पुत्रों की वापसी
»
श्लोक 44
श्लोक
10.85.44
इदमित्थमिति प्रायस्तव योगेश्वरेश्वर ।
न विदन्त्यपि योगेशा योगमायां कुतो वयम् ॥ ४४ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
हे पूर्णयोगियों के स्वामी, हम अपने बारे में क्या कहें, स्वयं महानतम योगियों को भी ये ज्ञान नहीं है कि आपकी योगमाया क्या है या यह किस प्रकार कार्य करती है।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.