श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 85: कृष्ण द्वारा वसुदेव को उपदेश दिया जाना तथा देवकी-पुत्रों की वापसी  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  10.85.24 
 
 
आत्मा ह्येक: स्वयंज्योतिर्नित्योऽन्यो निर्गुणो गुणै: ।
आत्मसृष्टैस्तत्कृतेषु भूतेषु बहुधेयते ॥ २४ ॥
 
अनुवाद
 
  वास्तव में परमात्मा एक है। वह स्व-प्रकाशित और शाश्वत, पारलौकिक और भौतिक गुणों से रहित है। परंतु इन्हीं गुणों के माध्यम से उसने सृष्टि की है, जिससे एक ही परम सत्य उन गुणों के विस्तारों में अनेक रूप में प्रकट होता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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