श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 83: कृष्ण की रानियों से द्रौपदी की भेंट  »  श्लोक 30
 
 
श्लोक  10.83.30 
 
 
तावन्मृदङ्गपटहा: शङ्खभेर्यानकादय: ।
निनेदुर्नटनर्तक्यो ननृतुर्गायका जगु: ॥ ३० ॥
 
अनुवाद
 
  तभी शंखों तथा मृदंग, पटह, भेरी और आनक नगाड़ों के साथ ही अन्य वाद्य जोर-जोर से बजने लगे। पुरुष और स्त्रियां नाचने लगे, और गायक गाने लगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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