आख़िरकार, दाशार्हों में श्रेष्ठ और असीम धन-सम्पदा के उपभोक्ता मेरे मित्र कृष्ण ने पा लिया कि मैं चुपके से उनसे कुछ माँगना चाहता हूँ। इस तरह जब मैं उनके सामने खड़ा था, तो उन्होंने इस विषय में ज़रूर कुछ नहीं कहा, किंतु उन्होंने मुझे प्रचुर धन-सम्पदा प्रदान की। उन्होंने दयावान वर्षा वाले बादल की तरह कार्य किया है।