श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 81: भगवान् द्वारा सुदामा ब्राह्मण को वरदान  »  श्लोक 27
 
 
श्लोक  10.81.27 
 
 
पत्नीं वीक्ष्य विस्फुरन्तीं देवीं वैमानिकीमिव ।
दासीनां निष्ककण्ठीनां मध्ये भान्तीं स विस्मित: ॥ २७ ॥
 
अनुवाद
 
  सुदामा ने अपनी पत्नी को देखकर विस्मय में आ गया। रत्नों से जड़ित लॉकेट पहनी हुई दासीयों के बीच चमकती हुई वह देवी की तरह तेजस्वी दिख रही थी, जैसे कि वह किसी दिव्य-विमान में प्रकाशित हो रही हो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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